Monday, November 3, 2008

राज के समर्थन में हम ये कदम उठा सकते हैं

महाराष्ट्र में एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा उत्तर भारतीयों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के विरोध और समर्थन में चेन मेल का सिलसिला शुरू हो गया है। ऐसा ही एक मेल कहीं मिला तो टाप लिया। इसमें मजाकिया लहजे में राज की मुहिम को परवान चढ़ाने के टिप्स बताए गए हैं। अब आपलोग भी पढ़िए।


1। अगर हमारा बच्चा क्लास में सेकंड आ रहा है, तो हमें उसे समझाना चाहिए कि पढ़ाई में और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं। फर्स्ट आने वाले साथी की जमकर पिटाई करो और स्कूल से बाहर फेंक दो।


2। सांसद सिर्फ दिल्ली के होने चाहिए, क्योंकि संसद दिल्ली में है।


3। इसी तरह प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और दूसरे नेता भी सिर्फ दिल्ली से होने चाहिए।


4। मुंबई में कोई हिंदी फिल्म नहीं बननी चाहिए। वहां सिर्फ मराठी फिल्में बनें।


5। हर राज्य की सीमा पर बस, ट्रेन और फ्लाइट को रोक देना चाहिए और उसके आगे इसको उसी राज्य के आदमी को ले जाने की इजाज़त होनी चाहिए।


6। विदेशों में या दूसरे राज्यों में काम कर रहे मराठियों को तुरंत वापस भेज देना चाहिए, क्योंकि वे भी तो स्थानीय लोगों की नौकरी छीन रहे हैं।


7। भगवान शिव, पार्वती और गणपति की पूजा महाराष्ट्र में नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वे उत्तर (हिमालय) के हैं।


8। ताजमहल को देखने की इजाजत केवल यूपी के लोगों को मिलनी चाहिए।


9। महाराष्ट्र के किसानों के लिए राहत पैकेज केंद्र सरकार की ओर से नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि यह पैसा सारे भारत के लोगों के टैक्स से आता है।


10। फिर तो हमें कश्मीरी आतंकवादियों का समर्थन करना चाहिए, आखिर वे भी तो अपने राज्य और समुदाय की 'भलाई' के लिए निर्दोषों का खून बहा रहे हैं।


11। सारी मल्टीनैशनल कंपनियों को महाराष्ट्र से बाहर कर देना चाहिए, आखिर उन्हें मराठियों से कैसे कमाने दिया जा सकता है। इसके बाद महाराष्ट्र माइक्रोसॉफ्ट, एमएच पेप्सी और एमएच मारुति जैसी कंपनियों की शुरुआत होनी चाहिए।


12। सारे मराठियों को सेलफोन, ई-मेल, टीवी, विदेशी फिल्मों और नाटकों का बहिष्कार कर देना चाहिए। जेम्स बॉन्ड को भी मराठी बोलना चाहिए।


13। भूख से मरने या दस गुणा महंगा खाना खाने के लिए तैयार रहना चाहिए, लेकिन दूसरे राज्यों से अनाज नहीं मंगाना चाहिए।


14। राज्य में कोई भी ऐसी कंपनी खोलने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए, जिनकी मशीनें बाहर से आती हों।


15 । लोकल ट्रेनों का भी बहिष्कार कर देना चाहिए, क्योंकि ट्रेनें मराठी मानुष नहीं बनाते और रेल मंत्री भी बिहार के हैं।


16 । हम सही मायनों में मराठी तभी होंगे जब हमारे बच्चे जन्म से लेकर मृत्यु तक महाराष्ट्र से बाहर कदम न रखें।