Wednesday, July 8, 2009
900 साल पुराने शिव मंदिर में मुस्लिम पुजारी
गुलाम हसन ने बताया कि हम केवल मंदिर की देखरेख ही नहीं करते बल्कि रोज मंदिर में आरती भी करते हैं। हम सिर्फ मंदिर में स्थित तीन फुट के शिवलिंग की सुरक्षा का ही सिर्फ ध्यान नहीं रखते, बल्कि यह ख्याल भी रखते हैं कि कोई भी श्रद्धालु मंदिर से प्रसाद लिए बगैर न जाए।
राजा जय सूर्या द्वारा निर्मित इस मंदिर का महत्व एक समय ऐसा था कि कोई भी अमरनाथ यात्री इस मंदिर का दर्शन किए बिना आगे की यात्रा शुरू नहीं करता था। इस मंदिर का संचालन लंबे समय से पंडित राधा कृष्ण के नेतृत्व में स्थानीय कश्मीरी पंडित संघ किया करता था। लेकिन, 1989 में कश्मीर छोड़कर चले जाने से पूर्व पंडित जी यह दायित्व अपने मुस्लिम मित्र अब्दुल भट को देकर गए थे। पंडित जी ने अपने मित्र से रोजाना मंदिर के दरवाजे को खोलने का आग्रह किया था।
वादे के अनुरूप भट ने 2004 में हुए तबादले से पहले तक रोज मंदिर की देखरेख करना और उसका दरवाजा खोलना और बंद करना जारी रखा था। उसके बाद से यह उत्तरदायित्व मोहम्मद अब्दुल्ला और गुलाम हसन निभाते आ रहे हैं। इनका कहना है कि हमें भगवान शिव में आस्था है। हम केवल मंदिर की देखरेख ही नहीं करते, हमने मंदिर के अंदर मरम्मत का काम भी करवाया है ताकि मंदिर का कामकाज आतंकवादियों के धमकी के बावजूद सुचारु रूप से चलता रहे।
पिछले 4 साल में इस मंदिर के दर्शन के लिए आनेवाले हिंदू श्रद्धालुओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो यहां से छोड़कर चले गए थे और अब एक पर्यटक के रूप में इस मंदिर का दर्शन करने आया करते हैं।
सावरकर की प्रतिमा लगाने की इजाजत क्यों नहीं दे रही सरकार?
फ्रांस के मारसेल्स शहर के मेयर स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की प्रतिमा अपने यहां लगाना चाहते हैं, पर केंद्र की यूपीए सरकार इसकी इजाजत देने में टालमटोल कर रही है। बीजेपी ने बुधवार को इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया। विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सरकार से पूछा है कि आखिर वह मारसेल्स शहर स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की प्रतिमा लगाने के लिए फ्रांस सरकार को इजाजत देने में क्यों टालमटोल क्यों कर रही है। आडवाणी ने पूछा कि वीर सावरकर की प्रतिमा लगाने के बारे में भारत सरकार को जो पत्र लिखा है उस बारे में वस्तु स्थिति क्या है और इसपर सरकार का क्या रवैया है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक रूप से मतभेद हो सकते हैं लेकिन इसमें कोइ संदेह नहीं कि वीर सावरकर एक महान देशभक्त थे और उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए संर्घष किया था।
इससे पहले बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे ने भी शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए कहा,'आज ही के दिन 1910 में वीर सावरकर को जब ब्रिटेन से भारत लाया जा रहा था, तो वे फ्रांस में जहाज से छलांग लगाकर भाग गए थे। उन्होंने अपनी इस कार्रवाई से ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी थी। बाद में उन्हें कालापानी की सजा हुई थी।'
उन्होंने कहा कि मारसेल्स शहर के मेयर ने सावरकर की प्रतिमा लगाने के लिए भारत सरकार को पत्र लिख कर मंजूरी मांगी है। मुंडे ने भी सरकार से इस बारे में वस्तुस्थिति से अवगत कराए जाने की मांग की, जिसपर संसदीय कार्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि वह मुद्दे से संबंधित मंत्री को अवगत करा देंगे।