Thursday, May 29, 2008

बाल ठाकरे को एक बिहारी की चिट्ठी

बालासाहब जी,
पाए लागूं।
हम बिहारी राजनीति को लेकर काफी इमोशनल होते हैं और मैं भी कुछ अलग नहीं हूं। इसलिए जिस उम्र में बड़े-बड़े शहरों के बच्चे फिल्म और कार्टून से मनोरंजन करते रहे होंगे , मैं नेताओं के बयानों और उनके मायने ढूंढ़ने में उलझा रहता था क्योंकि मुझे लगता था कि नेता ही देश का भविष्य हैं।
राजनीति के साथ प्रेम परवान चढ़ने के दौर में आप कब मेरे नायक बने , मुझे खुद भी नहीं पता चला। अबोध मन में आपके लिए इतनी इज़्ज़त क्यों थी , आज की तारीख में ठीक-ठीक बताना मुश्किल है। लेकिन शायद इसकी वजह यह रही होगी कि जिस दौर में मैं राजनीति समझ रहा था उस दौर में आप मुझे देश और हिंदू समाज के नायक लगते थे। जैसे-जैसे राजनीति , देश , समाज और व्यवस्था की समझ बढ़ती गई , आप लगातार नायक से खलनायक के पाले में जाते दिखाई दिए।

पहले आप देश को हिंदू और मुसलमानों में बांटने की राजनीति कर रहे थे, फिर आप हिंदुओं को भी मराठी-गैरमराठी में बांटने लगे और मुझे लगा कि न तो आपको हिंदुओं से कोई लेना-देना है न ही हिंदुस्तानियों से। आज मुझे समझ में आ रहा है कि आपको सिर्फ अपने वोट बैंक से मतलब है और उसके लिए आप किसी को भी विलेन बता सकते हैं - चाहे वह आपका भतीजा ही क्यों न हो ! आज जब मैं पहले की तरह बच्चा नहीं रहा तो मैं यह भी सोचता हूं कि कोई ऐसा व्यक्ति किसी राष्ट्र या समाज का नायक कैसे हो सकता है , जो उसको कई हिस्सों में तोड़ने की सियासत कर रहा हो। हालांकि , यह पहली बार नहीं है जब आप और आपकी पार्टी ने भौगोलिक आधार पर देश के किसी खास हिस्से के लोगों को निशाना बनाया हो।

लेकिन इस बार बात दूर तलक निकल पड़ी है। आप मानते हैं कि एक बिहारी , सौ बीमारी। वैसे यह विचार आपके अकेले के नहीं हैं। बिहारी शब्द देश के ज्यादातर हिस्सों में हिकारत का भाव दिखाने का प्रतीक बन गया है। हालांकि , आज सिर्फ वही बिहारी नहीं हैं जिनकी जड़ें बिहार में हैं। दिल्ली और मुंबई में मजदूर , कारीगर , मूंगफलीवाला , गुब्बारेवाला और वे सब बिहारी हैं जिनकी समाज में कोई ' हैसियत ' नहीं है। आपका और आपके भतीजे राज ठाकरे का आरोप है कि बिहार और पूर्वी यूपी के लोग मुंबई में रहकर मराठी संस्कृति पर हमला बोल रहे हैं। ठाकरे जी , आपने कभी गणेश चतुर्थी पर मुंबई के पूजा मंडपों में जमा होनेवाली भीड़ में शामिल यूपी और बिहार के लोगों की गिनती की होती तो आपको पता चलता कि आपका आरोप कितना गलत हैं। जैसे कलकत्ता में रहनेवाला हिंदीभाषी दुर्गा पूजा में सारे परिवार के साथ पंडाल-पंडाल घूमते हैं , वैसे ही हम भी जहां रहते हैं , वहां के तीज-त्योहारों से खुद को कैसे अलग कर सकते हैं ! लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि हम अपनी संस्कृति से भी उतना ही प्यार करते हैं और हम उसे भुलाना भी नहीं चाहते। इसीलिए जब छठ पूजा होती है तो हम उसे भी पूरी निष्ठा के साथ मनाते हैं। आपको और आपके भतीजे को इस पर एतराज है जो कि मुझे समझ में नहीं आता।

ठाकरे जी , अगर आप अमेरिका चले जाएं तो क्या आप वहां गणेश चतुर्थी के दिन उत्सव नहीं मनाएंगे ? अगर आप और आपकी ही तरह सारे मराठी महाराष्ट्र से बाहर भारत में और विदेश में कहीं भी अपने पर्व और त्योहारों को धूमधाम से मना सकते हैं ( और मनाना भी चाहिए ) तो बाकी लोगों पर पाबंदी क्यों ? अगर आपके ही तर्क मान लिए जाएं तो फिर मराठियों को भी राज्य से बाहर गणेश चतुर्थी नहीं मनानी चाहिए। क्या ठाकरे जी , आप भी कैसी बात करते हैं , वह भी उस देश में जिसका मिजाज़ यही है कि आप छठ पूजा में शरीक हों और हम गणपति बप्पा मोरया के नारे लगाएं। हम ईद में शरीक हों और हमारे मुस्लिम भाई दीवाली में। यह ऐसा देश है जहां हिंदू घरों में भी क्रिसमस पर केक खाया जाता है।

बालासाहब जी , हम मानते हैं कि हमारे नेता करप्ट हैं। लेकिन करप्ट नेता कहां नहीं हैं ? अगर अन्ना हज़ारे से पूछें तो शायद वह एक लंबी लिस्ट निकाल देंगे महाराष्ट्र के ऐसे नेताओं की। आप भी कांग्रेसी नेताओं पर भ्रष्ट होने के आरोप लगाते रहते हैं। वैसे भी आप राजनीति में लंबे समय से है , आपको क्या बताना कि इस हमाम में सभी नंगे हैं। रही बात जहालत की और समस्याओं की तो गरीबी और अन्याय अगर बिहार में है तो क्या महाराष्ट्र में नहीं ? आत्महत्या कहां के किसान कर रहे हैं ? क्या उनकी आत्महत्याओं के लिए भी बिहारी ही दोषी हैं ? मैं बिहार की वकालत नहीं कर रहा। बिहार में समस्याएं हैं। वे सुलझेंगी या नहीं या कितनी जल्दी या देर से सुलझेंगी , यह कहना मुश्किल है। पूंजी निवेश , उद्योग , बाज़ार और रोज़गार के मौके मिलेंगे तो यही बिहार चमचमा जाएगा और सारे पूर्वाग्रह खत्म हो जाएंगे। जब देश के दूसरे हिस्सों के लोग मोटी तनख्वाह पर कॉरपोरेट नौकरी के लिए बिहार जाएंगे तो सच मानिए , बिहार और बिहारी उतने बुरे नहीं लगेंगे।
आपका
प्रभाष झा
(यह मैंने अपनी साइट के लिए मार्च के पहले सप्ताह में लिखा था)

1 comment:

Unknown said...

शुरुआत बहुत हीं अच्छी है और आपसे उम्मीद बहुत जदा है.